भारत की पहली लाफ्टर क्वीन के नाम से मशहूर, तुंतुन (उमा देवी खत्री) ने अपनी कॉमेडी और अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया। हंसी के तूफान लाने वाली तुंतुन की जिंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रही थी।
बचपन में ही हो गईं अनाथ (Orphaned in Childhood)
तुंतुन का जन्म 1929 में पंजाब के लाहौर शहर में हुआ था। मात्र 7 साल की उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया और 13 साल की उम्र में मां भी चल बसीं।
संघर्षों भरा जीवन (A Life Full of Struggles)
अनाथ होने के बाद तुंतुन को अपनी बड़ी बहन के साथ रहना पड़ा। उन्होंने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया और थिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया।
फिल्मों में कदम (Entry into Films)
1950 के दशक में तुंतुन ने फिल्मों में प्रवेश किया। शुरुआत में उन्हें छोटी-मोटी भूमिकाएं मिलीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी प्रतिभा से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया।
कॉमेडी क्वीन का उदय (Rise of the Comedy Queen)
60 और 70 के दशक में तुंतुन ने कई हिट कॉमेडी फिल्मों में काम किया, जिनमें "पड़ोसन", "भाभीजी घर पर हैं", "सीता और गीता", "खोटे सिक्के", "शोले" और "गोलमाल" शामिल हैं।
उनकी कॉमेडी टाइमिंग और डायलॉग डिलीवरी दर्शकों को खूब पसंद आए। तुंतुन को उनकी सहजता और मासूमियत के लिए भी जाना जाता था।
व्यक्तिगत जीवन (Personal Life)
तुंतुन ने फिल्म निर्माता और अभिनेता प्रदीप कुमार से शादी की थी। उनके दो बच्चे भी थे।
दुखद अंत (A Tragic End)
तुंतुन को अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। 1983 में 54 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
विरासत (Legacy)
तुंतुन को आज भी भारत की सबसे महान कॉमेडी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। उन्होंने दर्शकों को हंसी और खुशी देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।